Monday, September 28, 2015

परिवार ही प्रेरणा

बचपन तो गुजर ही जाता है लेकिन यादों की धरोहर आजीवन हमें सुख और प्रेरणा देती हैं।  बहुतायत लोग सिर्फ पैसों से ही सुख मिलता है सोचते हैं लेकिन ऐसा नहीं है। बच्चों की परवरिश में पैसों से ज्यादा महत्व छोटी छोटी बहुत सारी चीजों का होता है जिन्हे हम नज़रअंदाज़ कर देते हैं। बचपन की यादों में यदि हम ध्यान दें तो सिर्फ निश्छल प्यार ही याद रहता है। बच्चों की सही जगह पर तारीफ करना उनको प्रेरित करने के लिए अति आवश्यक होता है।  बहुत लोगों को मैंने दुःख से कहते सुना है कि उनको बचपन में किसी ने प्रोत्साहित नहीं किया अन्यथा वे भी कुछ कर दिखाते।  40 की उम्र में उनका ये कहना उनके अपरिमित दुःख की अभिव्यक्ति ही तो है !
बच्चों को खाना और कपडे देना ही काफी नहीं , जहां जरूरत हो वहां उनको अनुशासन से रहना भी सिखाना बेहद जरूरी है। जीवन में बिना कठिनाइयों से जूझे हम कुछ भी नहीं कर सकते ।  बहुत सारे परिवारों में बच्चों को पूरी तरह स्वतंत्रता दी जाती है , जहां मां -पिता दोनों ही कमाने जैसी स्थिति हो वहां अधिकांशतः ये गलती देखी जाती है और नतीजे भी अच्छे नहीं होते लेकिन उनकी जड़ में अनुशासन की कमी ही होती है।

किताबें पढ़ने की आदत से बेहद ही सरलता से बच्चे कई बातें सीख जाते हैं।  भाषा का अच्छा ज्ञान भी स्वाभाविक ही होता है।  बचपन की ये आदत उनके भविष्य में काफी सहायक होगी। बचपन से ही इस आदत का होना उनके चारित्रिक विकास के लिए भी वरदान होगा। अधिकांशतः बच्चों के गलत दिशा में जाने के लिए चिंतित होना स्वाभाविक है लेकिन किताबों का चयन अच्छा होना चाहिए और इसमें हमारा मार्गदर्शन जरूरी है।

कई परिवारों में बच्चों को प्रोत्साहन देने बड़े नहीं होते और ठीक इसके विपरीत कई परिवारों में बड़े प्रोत्साहन नहीं देते , छोटी सी बातें बड़ा असर करती हैं और यह सिर्फ मां -पिता और गुरु ही कर सकते हैं , आजीवन मन पर इन बातों का प्रभाव रहता है। आज भी मेरे शिक्षकों की यादें मन में ताजा है। हर एक अच्छे प्रयास में उनका मार्गदर्शन भूला नहीं जा सकता।

रिश्तों में अपनापन बेहद ही आवश्यक होता है इसमें छिपी है उनके स्वाभिमानी और समर्थ बनने की कुंजी। जीवन में बहुत कुछ हासिल करने वालों से यदि पूछें तो उनकी परवरिश से ज्यादा उनपर अभिभावकों के प्रेम भरे व्यवहार का अधिक प्रभाव रहा है। जरूरी नहीं कि हम रईस हों ,प्यार तो पैसों से नहीं खरीदा जा सकता। बच्चों को हमेशा ही बच्चे न समझें उनमें आत्मविश्वास से निर्णय लेने जैसी क्षमताओं का विकास भी होना चाहिए और हमने उनपर भरोसा भी करना चाहिए , यदि हम उन्हें छोटा ही समझते रहें तो वे कब बड़े होंगे?
हमारे आपसी रिश्तों की मजबूती बच्चों को हमारे करीब लाएगी और यदि दुर्भाग्यवश कोई गलती भी हो तो निसंकोच हमें बताने की हद तक उनको हम पर भरोसा भी होना बेहद जरूरी होता है।  असलियत हमसे छुपाएंगे तो उनका मार्गदर्शक कौन होगा ? बाहरी लोगों से वे कैसे अपनी परेशानियां बांटेंगे ? यदि ऐसा हो भी तो उसमे दोनों ही दुखी होंगे तो क्यों न बच्चों से हम थोड़ी दोस्ती रखें ? एक नए रिश्ते की जड़ हमें बचपन में ही मजबूत कर लेनी चाहिए।
प्यार में असीमित शक्ति है जिससे हर बदलाव संभव है , जरूरत सिर्फ कोशिश की है।  हमारा निस्वार्थ प्यार ही उनके कोमल मन में गहरे तक जड़ें जमाकर उन्हें सफल बनाएगा। मैंने बचपन में बहुत ही करीब से देखा और  सीखा, कैसे एक परिवार में बिखराव सहजता से बच्चों की मानसिकता बदल सकता है , फिर कुछ भी बदलना नामुमकिन हो जाता है क्योंकि जो बातें मन में गहरे तक समातीं हैं उनको पूरी तरह निकालना आसान नहीं होता। इसमें सिर्फ मां -पिता होना ही काफी नहीं , बुद्धिमान होना बेहद जरूरी है।
गलतियां करना स्वाभाविक है लेकिन उनका निराकरण हम कैसे करते हैं ये बच्चे बारी
की से देखते हैं और अपनी जिंदगी में भी उसका अनुकरण करते हैं इसलिए हमेशा ही हमारा सतर्क रहना जरूरी होता है। गलतियों का सुधार कैसे किया जाए ये हमें अवश्य ही सिखाना चाहिए , न कि सारे निर्णय हमें लेने चाहिए।
यदि हमारे बीच किसी भी तरह की परेशानियां हों तो उनका प्रदर्शन बच्चों के सामने न करना ही बेहतर , हमपर न सिर्फ उनका भरोसा रहना चाहिए बल्कि हमें उनका आदर्श भी होना चाहिए। यदि हम उनके सामने ही झगड़ें तो उनका कमजोर होना गलत नहीं।
हमारा व्यवहार उनके लिए हमेशा ही समझदारी भरा होना चाहिए , जीवन में वे हमें हर कदम पर याद करने जैसा हमें उदहारण प्रस्तुत करना चाहिए। मैंने कई लोगों को आत्महत्या करते देखा है लेकिन कारण बेहद ही साधारण होते हुए भी यदि अपनी जिंदगी ख़त्म करने में वे नहीं हिचकते तो साफ़ जाहिर है कि उनको घर में प्यार देने और समझने वाला कोई  नहीं है।  छोटी छोटी बातों पर गौर करना अच्छी बात है क्योंकि हर बच्चा अपनी परेशानियां सबसे कहे ये जरूरी नहीं।  हमारा उनपर पूरा ध्यान रखना भी प्यार ही तो है।

कई परिवारों में रिश्ते सिर्फ पैसों के डर से तोड़े जाते  हैं , शायद हमसे मदद पूछें , यह बिलकुल ही गलत तरीका है क्योंकि रिश्तों में जो मिठास है वो अन्यत्र कहीं नहीं , उसको कायम रखना और दूसरों की ताकत बनना हर तरह से अच्छा होता है।

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